Thursday, November 4, 2010

आ रहे हैं भगवान ओबामा

हर नागरिक अभिभूत है। भावनाओं का सागर हिलोरें ले रहा है। कोई सामान्य घटना तो है नहीं। सदियों बाद ऐसा होता है। सब जानते थे कि सिर्फ दस अवतारों से इस धरती का काम नहीं चलने वाला है। उनको आना ही होगा। भक्तों की पीड़ा सुनने वे नहीं आएंगे तो कौन आएगा। हम न जाने कब से अंधकार में पड़े हैं। रोशनी दिखाने वाला आएगा। अब ज्यादा दिन नहीं हैं। वे बस आना ही चाहते हैं।
सबको खबर कर दी गई है। क्या राजा, क्या प्रजा, सभी पलक पांवड़े बिछाए हुए हैं। कहीं कोई कमी न रह जाए स्वागत में। तय कर दिया गया है कि मिनिस्टर-इन-वेटिंग कौन होगा। क्या पद है। वह बिछे जा रहे हैं कि हर किसी के जीवन में ऐसा अवसर नहीं आता। अब और जीवन से क्या चाहिए। इधर, तैयारी पूरी है। वे कहां विराजमान होंगे, किन-किन रास्तों से होकर कहां-कहां जाएंगे, उनकी मर्जी से तय किया जा रहा है। रास्ते बुहारे जा रहे हैं। मैनहोल तक खंगाले जा रहे हैं। अब क्या है कि भगवान तो हैं वे लेकिन यह 21वीं सदी है। इसलिए व्यवस्था करनी पड़ती है। सब जय-जयकार कर रहे हैं। आने तक का इंतजार कौन करे। मैडम राव पहले ही जाकर दूत का फर्ज निभा आई हैं।
भगवान ओबामा आ रहे हैं।
हमारे राजा और उनके मंत्रीगण प्रसन्न हैं। उन्हें लग रहा है कि भक्ति का मान रखा प्रभु ने। वे अपने विशेष विमान से आएंगे। सीधे मुंबई जाएंगे। हमारी दुखती रग को सहलाएंगे। हमें पूरा यकीन है कि वे कहेंगे कि आतंक से इस लड़ाई में वे हमारे साथ हैं। हों भी क्यों न, उनका घाव भी अभी हरा ही है। कलिकाल के भगवान जो ठहरे। दिक्कत यह पैदा हो गई है कि देवलोक अमेरिका में बहुत सारे देवता उनके खिलाफ हो गए हैं। क्या आप जानते नहीं है कि आज के देवलोक में भी लोकतंत्र का बोलबाला है। लिहाजा, चुनाव में हार की गर्म हवा उन्हें सता रही है। वह कुछ ठंडक पाने ही तो यहां आ रहे हैं। आएंगे तो उनकी रेटिंग बढ़ जाएंगी। याद कीजिए, क्लिंटन की भी ऐसे ही बढ़ी थी। अप्सरा मोनिका के साथ रंगरेलियां मनाने के बाद भी उनका भाव चढ़ गया था।
हमारे राजा व उनके दरबारी सोचने में लगे हैं कि भगवान आएंगे तो इतना तो जरूर कहेंगे कि वत्स, मांगो क्या वर मांगते हो। हम तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हैं। तुमने हमारे साथ परमाणु करार किया है। तुम्हारी तपस्या का फल तो जरूर मिलेगा। लेकिन ऐसा वर मांगना जिस पर मैं तथास्तु कह सकूं। वे जरूर कहेंगे, प्रौद्योगिकी निर्यात की बात मत मांगना। सबकुछ कैसे दे सकता हूं। मुझे भी तो जवाब देना है। यह दीगर बात है कि तुम मुझे भगवान मान रहे हो। हां, एक बात और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता का वर भी मत मांगना। अब तुम जानते ही हो कि मैं कितना भी प्रसन्न हूं लेकिन अपना सिंहासन थोड़े ही दे दूंगा। तुम्हें बगल में बैठाने से पहले मुझे कई बार सोचना पड़ेगा। लिहाजा ये जटिल व पेचीदा वरदान मैं नहीं दे पाऊंगा। कहना ही मत। इस मामले में तुम्हारी इतनी बात मान सकता हूं कि तुम्हारे सामने कश्मीर की बात मैं नहीं करूंगा। पाकिस्तान को मैं समझा रहा हूं। थोड़ा शरारती है। मान जाएगा। आज नहीं तो कल मान जाएगा। अभी मुझे उससे काम है इसलिए ज्यादा जोर नहीं डाल सकता। तालिबान, अलकायदा से लड़ाई में उसकी जरूरत है। मैं भगवान हूं तो क्या हुआ, हूं तो आज का। सबके संहार की क्षमता मुझमें नहीं है। यह दीगर बात है कि दुनिया में कई देशों में मैंने नाहक ही अपने दिव्यास्त्रों का प्रयोग कर दिया है। और सुनो, अपने देवलोक में मैंने कितने नर-नारियों को (भारतीयों) को अपने दरबार (कांग्रेस) में जगह दी है। वे चाहे मेरी पार्टी में हों या विरोधियों की। निक्की को गवनर्र बन जाने दिया। यह क्या कम है।
खैर, हम तो उनके स्वागत की तैयारियों में जुटे हैं। होटल का चप्पा-चप्पा छान मारा है हमने। गुलाब की पंखुड़ी भी कोई उनकी तरफ नहीं उछाल पाएगा। मुंबई में आकाशमार्ग से उतरेंगे। वहां वे बच्चों के साथ दीवाली मनाएंगे। कुछ खास जगहों पर जाएंगे। रास्ते को हम अपनी पलकों से बुहार रहे हैं। सड़कों में हमने अपनी आंखें धंसा दी हैं। खाने के लिए क्या-क्या नहीं जुटाया है। उन्होंने एक बार हल्के-से कह दिया था कि प्लैटर पसंद है। अब हिलेरी के प्लैटर से कम हुआ तो हमारी खैर नहीं। हमारे शेफ जुटे हैं। अभी से प्याज छीलने में लग गए हैं।
मुंबई के बाद भगवान दिल्ली आएंगे। राजघाट पर लंगोटी वाले बाबा की समाधि पर अपना शीश झुकाएंगे। बस यही बात समझ से बाहर है। सब लोग उनकी समाधि पर क्या करने जाते हैं। रस्म बड़ी चीज है निभाते रहिए, इस फॉर्मूले का चक्कर है तो ठीक है क्योंकि देवलोक के लोग गांधी की अहिंसा को तो अपने रथ के पिछवाड़े डालकर घूमते हैं। वियतनाम से लेकर अफगानिस्तान तक, कंबोडिया से लेकर इराक तक अहिंसा के झंडे का झ भी नहीं बचा है। हां, हर लड़ाई को वे देवासुर संग्राम का नाम जरूर देते हैं वर्ना अमृत के असुरों के हाथों पड़ जाने का खतरा है।
अंत में कुछ अर्ज करना चाहूंगा। जॉर्ज पंचम की शान में तो गीत रचा गया था और उसे हम आज भी अपने माथे से लगाए बैठे हैं। अब देखना यह है कि ओबामा के लिए क्या-क्या समर्पित किया जाएगा। तो आइए, सब मिल कर कहें- भगवान ओबामा की जय। ना…ना… इंकार मत कीजिए। देशद्रोह का मुकदमा चल सकता है।

5 comments:

  1. बहुत अच्छा पोस्ट , दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये...
    sparkindians.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. bohot hi sahi likha hai aapne.... logo ko lag raha hai ki obama bharat aakar upkar kar rahe hai par vastvikta ye hai ki wo yaha america me rojkar ke naye avsar paida karne aa rahe hai.... aur aapne जॉर्ज पंचम ke baare me likha hai wo sach me gambhir vishay hai... bohot kam logo ko iske baare me jankari hai... aapse anurodh hai ki aap agli post me is vishay par vistrat jankari pradan kare....

    ReplyDelete
  3. .

    Great post !

    It will bring awareness among people.

    .

    ReplyDelete
  4. obama vishv niyanta hai.unaka samman uchit hi hai|....good post..thanx!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete